Wednesday, February 2, 2011

कलयुगी सोच

कलयुगी सोच

भारत में आधुनिक युग में बढ़ते बलात्कार, हत्या, चोरी और सामाजिक पतन का कारण लोगों की सोच बदलना तो नहीं, यदि है तो इस बात पर लोगों को आश्चर्य नहीं करना चाहिए। न जाने कितने ही विद्वानों ने इस तथ्य पर सैंकड़ों तर्क दिए हैं। विद्वानों द्वारा दिए गए तर्कों को प्रत्येक भारतीय भली-भाँती जानता है कि पिछले तीन युगों (सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग) के लोगों की सोच और कलयुग के लोगों की सोच में कितना बड़ा अंतर आ गया है। आधुनिक समाज के लोगों की बदली सोच समाज को प्रदूषित कर रही है या स्वच्छ। इस बात पर आपका बंधू भी एक तर्क प्रस्तुत कर रहा है, जो विद्वानों द्वारा दिए गए तर्कों को जरूर मजबूती प्रदान करेगा।

आधुनिक युग में बात चाहे किसी कार्यालय की हो, कालेज की या फिर समाज की। सभी जगहों पर लोगों की मानसिकता सिकुड़ती जा रही है। अगर कोई लड़का अपना ऊपर का बटन खोलकर चलता है तो ऑफिस में बड़े वर्ग के अधिकारी, कालेजों के प्रोफेसर्स और समाज को सुधारने वाले समाज-सुधारकों को उसकी मर्दानगी खटकने लगती है। और ये सभी उसको टोकने में कोई कसर नहीं छोड़ते। कोई उसको तमीज सिखाने की बात करता है तो कोई उसे नौकरी से निकालने की बात करता है। लेकिन समाज के इस तबके का इस और कोई ध्यान नहीं जाता कि आधुनिक युग में सभी मार्डन लड़कियां भारतीय सभ्यता के विपरीत कपड़े पहनती हैं। जब वे हॉफ बाजू और वी गले का सूट वो भी बिना दुपट्टे के पहन कर आती हैं तब उन्हे रोकने वाला कोई नहीं है । शरीर के वो अंग जो शादी के बाद सिर्फ उसके पति को देखने का हक है, उनके द्वारा ताड़-ताड़ कर देखे जाने से उनकी गरीमा को तार-तार किया जाता है। अगर ऐसा नहीं है तो कोई भी उनको क्यूं नहीं टोकता? जबकि उनके मुंख पर तो ओ माई गॉड, वॉट ए एक्सीलेंट, वॉउ ब्यूटीफुल और प्रिटि गर्ल जैसे कमेंट परोसी जाती हैं। क्या ये कमेंट भारतीय सभ्यता के अनुकूल हैं?

अंत में सबसे पहले तो मैं कलयुग के उन ऑफिस में बड़े वर्ग के अधिकारी, कालेजों के प्रोफेसर्स और समाज को सुधारने वाले समाज-सुधारकों से ये पूछना चाहता हूं कि जब आपको लड़के की मर्दानगी उसके बटन खोलने से दिख जाती है तो लड़की की अस्मत, आबरू और गरिमा उसके वी गले के सूट के बीच में देखने से दिखाई नहीं देती। और यदि दिखाई देती है तो आपके शर्म क्यूं नहीं आती? और यदि शर्म आती है तो फिर ऐसे कमेंट्स क्यूं? आप पुराने युगों की बात करें तो उस समय पर कोई लड़की किसी भी तरह के कपड़ो में बिना दुपट्टे के नहीं रह सकती थी। इसलिए उस समय के समाज के लोगों की सोच आज के लोगों की तरह सकुंचित नहीं थी। आधुनिक समाज इन लड़कियों की तारीफ करता है, बल्कि गत समाज की तरह सजा नहीं देता, उन पर रोक नहीं लगाता। धन्यवाद